हिंदी भाषा के उत्थान के लिए हो व्यापक प्रयास : शांता कुमार

पालमपुर
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा है कि इस बार 12वां विश्व हिन्दी सम्मेलन फिजी में हुआ। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने इसकी अध्यक्षता की। विश्वभर से 1200 हिन्दी के विद्वान सम्मलेन में आये। फिजी के उप-प्रधानमंत्री विमान प्रसाद ने अपना भाषण हिन्दी में दिया।सम्मलेन को हिन्दी का महाकुम्भ कहा गया। एस. जयशंकर ने हिन्दी को विश्व भाषा बनाने का आह्वान किया। हिमाचल निवासी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के पूर्व कुलपति कुलदीप अग्निहोत्री को अन्य हिन्दी विद्वानों के साथ सम्मानित किया। यह सब पढ़ कर बहुत प्रसन्नता होती है।
उन्होंने कहा परन्तु भारत में हिन्दी भाषा के साथ जो अपेक्षा का व्यवहार हो रहा है, सरकारी कामकाज में और लोगों के व्यवहार में हिन्दी का प्रयोग समाप्त होता जा रहा है। 1947 मेंअंग्रेजों की गुलामी तो चली गई परन्तु अंग्रेजी की गुलामी 75 साल के बाद भी भारत में फल-फूल रही है।
उन्होंने कहा कि वे अंग्रेजी का विरोध नही करता। विश्व भाषा है अंग्रेजी, पढ़नी चाहिए परन्तु हिन्दी का गला घोटकर यह सब नही होना चाहिए।किसी भी बाजार में चले जाये दुकानों के नामपट लगभग अंग्रेजी में होते हैं। विवाह और अन्य उत्सवों के निमन्त्रण-पत्र केवलअंग्रेजी में-हिन्दी तो कही भी दिखाई नही देती। विवाह के मंत्र अवश्य संस्कृत में होते है। यदि वे भी अंग्रेजी में होते तो उन्हीं का प्रयोग होता।
शांता कुमार ने कहा विश्व हिन्दी सम्मेलन करना और हिन्दी को विश्व भाषा की बात करना परन्तु अपने ही देश में हिन्दी को पूरी तरह से दर किनार करना अत्यन्त दुर्भाग्य की बात है।
उन्होंने कहा आजादी के लिए संघर्ष के 90 वर्षों में हिन्दी स्वतन्त्रता आन्दोलन की भाषा रही। गांधी जैसे बहुत से नेता हिन्दी भाषी प्रदेशों के नही थे परन्तु उन सबने हिन्दी को देश की भाषा कहा। आजादी की लड़ाई लड़ने में हिन्दी का बहुत बड़ा योगदान रहा। परन्तु आजादी के बाद 75 सालों में हिन्दी को उपेक्षित किया जा रहा है।
उन्होने कहा प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस मनाना एक रस्म रह गई है। हिन्दी की यह उपेक्षा शर्मनाक है। वह दिन दूर नहीं जब बच्चे पूछेंगे-क्या हमारे देश की कोई भाषा नही है।
शांता कुमार ने सरकार से और देश के विद्वानों से विशेष आग्रह किया है कि इस बुनियादी राष्ट्रिय प्रश्न पर गंभीरता से विचार करे और हिन्दी को उसका उच्च स्थान प्रत्येक स्तर पर दिलवाने की कोशिश करे।

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