पालमपुर,1 मार्च
चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एच.के.चौधरी ने कहा कि खेती में प्रदर्शन और उपयोग के लिए तीन ड्रोन का अधिग्रहण किया है। कुलपति जी ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान लुधियाना से फंड मिलने के बाद विश्वविद्यालय ने हाल ही में ड्रोन खरीदने का बीड़ा उठाया है। कृषि ड्रोन परियोजना के तहत पूरे हिमाचल प्रदेश में पालमपुर, आठ कृषि विज्ञान केंद्रों, तेरह अनुसंधान स्टेशनों और किसानों के खेतों में प्रदर्शन के लिए तीन ड्रोन खरीदे गए हैं। प्रो चौधरी ने कहा कि ड्रोन तकनीक कृषि में बहुत तेज गति से उभर रही है। कृषि क्षेत्र के अगले पांच वर्षों में दुनिया में ड्रोन का दूसरा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग से मिट्टी और क्षेत्र विश्लेषण, कीट और रोग नियंत्रण, पोषक तत्वों के अनुप्रयोग आदि के लिए फसल निगरानी और फसल छिड़काव में समय कम करने और दक्षता बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
प्रो. चौधरी ने बताया कि उनका विश्वविद्यालय नए अधिग्रहीत ड्रोन का उपयोग छिड़काव क्षमताओं, फसलों के क्षेत्र मानचित्रण आदि को प्रदर्शित करने के लिए करेगा। प्रदर्शन लागत प्रभावी और कुशल पोषक तत्व प्रबंधन में ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग में किसानों को जोखिम प्रदान करेगा। शुरूआत में विश्वविद्यालय के तीन वैज्ञानिकों ने डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) से प्लेन एयरक्राफ्ट लाइसेंस प्राप्त किया है। वे किसानों को प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन कर विश्वविद्यालय के अन्य वैज्ञानिकों को ड्रोन नीतियों और उड़ान नियमों में प्रशिक्षित करेंगे। प्रो एचके चौधरी ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को पहाड़ी किसानों को नवीनतम तकनीकों को पेश करने में उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय पहाड़ों में इस तकनीक की आर्थिक व्यवहार्यता पर काम करेगा और हिमाचल प्रदेश में खेती में ड्रोन के उपयोग पर सिफारिशें पेश करेगा। यह प्रयास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सटीक खेती के क्षेत्र में नए आयाम खोलेगा।