मानवीय उदासीनता ने पैदा की कई समस्याएं: प्रो. चंद्र कुमार

कृषि विश्वविद्यालय में एक स्वास्थ्य और पोषण सुरक्षा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आरंभ
पालमपुर,18 जुलाई।  चौधरी  सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में मंगलवार को ‘एक स्वास्थ्य और पोषण सुरक्षा‘ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रो.चंद्र कुमार ने किया। संगोष्ठी में आए वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो. चंद्र कुमार ने आग्रह किया कि वे मनुष्य, जानवरों के अच्छे स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करेें। प्रो. चैधरी ने कहा कि स्वास्थ्य अवधारणा आवश्यक है क्योंकि इसमें मानव और जानवर दोनों है। पहले के समय में लोगों द्वारा गायों की अच्छी देखभाल की जाती थी, मगर अब मानवीय उदासीनता और लालच के कारण बंदरों का आंतक, छोड़े गए जानवरों आदि जैसी कई समस्याएं पैदा हो गई है। उन्होंने कहा कि कई बार जानवरों में पर्यावरण संबंधी बीमारियां होती है। यह मानवों में फैलती है। उन्होंने उदाहरण के साथ समझाया कि पहले लोगों को बरसात के मौसम में मांस या मछली न खाने की सलाह दी जाती थी लेकिन अब ऐसी सावधानियां नहीं बरती जाती है। पोषक अनाज मानव आहार और पशु आहार का हिस्सा होता था लेकिन ऐसे कार्बोहाईडेªट, प्रोटीन आदि से भरपूर पोषक अनाज को अब छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि अच्छे स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए ऐसे मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा की जानी चाहिए। मंत्री जी ने पोषण सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ पानी,स्वच्छ भोजन, गुणवत्तापूर्ण फीड आदि के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने मानवीय जरूरतों और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने पर भी चर्चा की। मुख्य अतिथि ने गौशालाओं, घरों, खेतों आदि में स्वच्छता के महत्व को भी रेखांकित किया।
कुलपति प्रो.एच.के.चौधरी ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए बताया कि उनके विश्वविद्यालय में पशु चिकित्सा सार्वजनिक स्वास्थ्य स्वास्थ्य और महामारी विज्ञान विभाग ने आम जनता और सभी संबंधित लोगों को मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करने के लिए अच्छी पहल की है। उन्होंने कहा कि मानव स्वास्थ्य और पशु स्वास्थ्य की रक्षा और संरक्षण करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। कई बीमारियां हैं जो आपस में अंतर स्थानांतरित होती हैं। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से ब्रुसेलोसिस, तपेदिक, रेबीज, स्क्रब टाइफस आदि जैसी पशु संचालित बीमारियों के नियंत्रण और रोकथाम में एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण को अपनाने और जागरूक करने को कहा। उन्होंने जनता को पर्यावरण प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में जागरूक करने के लिए भी आह्वान किया।
पशुपालन और डेयरी विभाग भारत सरकार के संयुक्त आयुक्त डा. हंसराज खन्ना ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि बहु क्षेत्रीय दृष्टिकोण की भागीदारी के साथ घर स्वास्थ्य की सुरक्षा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि लगभग 200 जूनोटिक बीमारियों से हर साल लगभग दस लाख लोग मर जाते हैं। सह आयोजन सचिव डा. सुनील रैणा ने भी एक स्वास्थ्य की प्रासंगिकता के बारे में अपना वक्तव्य रखा।  
पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. रविंद्र कुमार, अनुसंधान निदेशक डा.एस.पी.दीक्षित ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आयोजन सचिव डा.अशोक कुमार पांडा ने बताया कि लगभग 150 प्रगतिशील किसान, राज्य पशुपालन विभाग के पशु चिकित्सा अधिकारी, डाक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा के डाक्टर, भारतीय पशु अनुसंधान संस्थान पालमपुर के वैज्ञानिक और स्थानीय महाविद्यालय के स्नातकोत्तर विद्यार्थी व कर्मियों ने इसमें अपनी प्रमुख तौर पर उपस्थिति दर्ज करवाई। संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के संविधिक अधिकारियों और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे।   

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