सीएसआईआर.आईएचबीटी में 82वें सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह का आयोजन

पालमपुर

सीएसआईआर.हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थानए पालमपुर में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् ;सीण्एसण्आईण्आरण्द्ध का 82वां स्थापना दिवस समारोह बडे़ हर्षोल्लास से मनाया गया। सन् 1942 में भारत की सबसे बड़ी परिषद, सीएसआईआरए की स्थापना हुई थी और इसे विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक ज्ञान-विज्ञान के लिए विश्व भर में जाना जाता है। संपूर्ण भारत में अपनी 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 आउटरीच केंन्द्रो, एक नवाचारपरिसर, एवं तीन यूनिट्स के माध्यम से सीएसआईआर राष्ट्र की सेवा में अपना योगदान दे रहा है।
समारोह के मुख्य अतिथि प्रो० पी० एल० गौतम, चांसलर, डा० राजेन्द्रे प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वाविद्यालयए समस्ती पुर, बिहार ने सीएसआईआर को शुभकामनाएं देते हुए संस्थान की शोध गतिविधियों एवं ग्रामीण आर्थिकी के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका एवं योगदान के लिए संस्थान की सराहना की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि विज्ञान ने हमें आत्मवनिर्भर बनाया है तथा इसका उपयोग मानव जाति के उत्था‍न के लिए होना चाहिए। विज्ञान का उदेश्यन समस्याओं का हल करना है। उन्हों ने संस्था।न के वैज्ञानिकों से आहवान किया कि टीम भावना के माध्यञम से जन समुदाय के उत्थांन के लिए कार्य करें।
डॉ० अजीत कुमार शासनी, निदेशक, सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) लखनऊ ने सीएसआईआर स्थापना दिवस संभाषण में विज्ञान के क्षेत्र में नित नए शोध के बारे में बताया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा पादप संपदा में विविधता है। प्रत्येक पौधे में विविध गुण होते हैं जिनका उपयोग कई प्रकार की औषधियों तथा उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। इनका हमारे दैनिक जीवन में अत्यातधिक महत्व है।

इससे पहले संस्थानन के निदेशक डा० सुदेश कुमार यादव ने संस्थान तथा सीएसआईआर की प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों ने पुष्प एवं सगंध फसलों की कृषि तकनीक विकसित करके किसानों एवं उद्यमियों की आत्मनिर्भता की ओर कदम बढ़ाए हैं। सीएसआईआर-फ्लोरिकल्चकर मिशन के अंतर्गत, पुष्पि फसलों के क्षेत्र में 715 हेक्टेयर तक का विस्तांर किया गया। अरोमा मिशन के अंतर्गत सगंध फसलें विशेषकर जंगली गेंदे को उगाने एवं प्रसंस्करण के लिए अलग.अलग राज्यों में आसवन इकाइयाँ स्थापित की गईं। उन्होंने आगे बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से देश को बहुत अधिक उम्मीद है। अतः हमारा दायित्व है कि राष्ट्र एवं विश्व की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में प्रयासरत रहें। उन्होने जैव आर्थिकी को बढावा देने में संस्थान का सामर्थ तथा नए अवसरों के बारे में विस्तार से बताया।

इस अवसर पर सीएसआईआर-आईएचबीटी में आयोजित विभिन्नत प्रतियोगिताओं के लिए पुरस्कार वितरित किए गए तथा संस्थार से सेवानिवृत्त कर्मचारियों का अभिनंदन भी किया गया। साथ ही साथ संस्था्न द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को उद्यमियों को हस्तांतरित करने तथा शैक्षणिक तथा शोध कार्यो के लिए चितकारा विश्वदविद्यालय तथा आईजीएफआरआई, झांसी के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर भी किए गए। तीन किसान समूहों को सगंध एवं पुष्प पादपों के कंद भी बाँटे गए।

इस दिवस को जन दिवस के रूप में मनाया गया जहां किसानो, उद्यमियों एवं केंद्रीय विद्यालय, नलेटी, देहरा के 146 छात्रों एवं उनके अध्यापकों ने संस्थाान की वैज्ञानिक उपलब्धियों का प्रक्षेत्र एवं प्रयोगशालाओं में अवलोकन किया।

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