एक महीने बाद भी आधी-अधूरी कैबिनेट बनाकर मुख्यमंत्री चला रहे काम चलाऊ सरकार : सतपाल सत्ती

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष एवं विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने जारी एक प्रैस बयान में कहा कि लगभग महीने का समय बीत जाने के बाद भी मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू कैबिनेट का पूर्णरूप से गठन नहीं कर पाए हैं जो कि दर्शाता है कि कांग्रेस पार्टी का दिल्ली का गुट और हिमाचल प्रदेश के गुट की लड़ाई मुख्यमंत्री पर भारी पड़ रही है।
भाजपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री ने आधी-अधूरी कैबिनेट बनाकर एक काम चलाऊ सरकार बनाई है।उन्होने कहा कि कांग्रेस पार्टी पहले भाजपा सरकार पर आर्थिक बोझ डालने का आरोप लगाती रहती थी परन्तु अब उसी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने पार्टी विद्रोह के कारण 6 मुख्य संसदीय सचिव बनाकर प्रदेश पर और अधिक आर्थिक बोझ लाद दिया है जबकि इसके विपरित पूर्व भाजपा सरकार ने प्रदेश की आथिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए मुख्य संसदीय सचिव जैसे पदों पर नियुक्तियां नहीं की थी।
सतपाल सत्ती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी में सत्ता में आने के बाद भी आपसी फूट बरकरार है और यही कारण है कि चुनाव परिणाम घोषित होने के लगभग एक महीने बाद भी प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज नहीं दिख रही है। मुख्यमंत्री केवल पूर्व सरकार के विकासात्मक कार्यों को बंद व रद्द करने में अपना समय लगा रहे हैं और अभी तक प्रदेश हित में कोई भी निर्णय कांग्रेस सरकार द्वारा नहीं लिया गया है।
भाजपा नेता ने कहा कि सुक्खू सरकार को जनता से किए वायदों को पूरा करने हेतु कार्य करना चाहिए परन्तु जिस प्रकार से वे सरकारी पदों को रेवड़ियों की तरह बांट रहे हैं, उससे लगता है कि सरकार का अधिकतर बजट इनकी सुख-सुविधाओं में खर्च होगा और जिसका बोझ प्रदेश की जनता पर ही पड़ेगा।
सतपाल सत्ती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पिछले पांच साल महंगाई का रोना रोती रही और अब सत्ता में आते ही उसी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने पैट्रोल, डीजल के दामो में वैट बढ़ाकर महंगाई की आग में घी डालने का काम किया है। उन्होनें कहा कि मुख्यमंत्री सुक्खू ने अपनी अधूरी कैबिनेट बनने की खुशी में प्रदेश की जनता को तोहफा प्रदान किया है।
भाजपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सुक्खू को प्रदेश में विकासात्मक कार्यों व जनहितों को ध्यान में रखकर विवेकपूर्ण निर्णय लेने चाहिए परन्तु कांग्रेस सरकार की वर्तमान कार्यशैली को देखकर लगता है कि हिमाचल की जनता को अगले पांच वर्ष कठिन दौर से गुजरना पड़ेगा।

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