हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुखू की अनुभव हीनता और कमजोर इच्छाशक्ति के कारण हिमाचल के सीमेंट प्लांटों का तमाशा हो गया। उक्त शब्द भाजपा के प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि पिछले 2 महीने से सीमेंट प्लांटों से जुड़े ट्रांसपोर्टर धरने और आंदोलन कर रहे हैं लेकिन प्रदेश सरकार को उनके इस दर्द की जरा भी चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि यह इतना बड़ा मसला नहीं है कि मुख्यमंत्री के प्रयासों से इसका समाधान नहीं हो सकता है। वास्तव में इस सीमेंट कारखाने के विवाद से जहां पर ट्रक ट्रांसपोर्टर स्थानीय कारोबारी और बेरोजगार बुरी तरह प्रभावित हैं, वही प्रदेश में निर्माण कार्य की दृष्टि से सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्र भी समय पर सीमेंट न मिलने पर प्रभावित हैं।
भाजपा नेता कपूर ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शपथ लेने के बाद ही व्यवस्था परिवर्तन का ढोल पीटकर सबसे पहले बदले की भावना स्वरूप भाजपा की जयराम सरकार द्वारा प्रदेश की जनता के आग्रह पूर्वक खोले गए विभिन्न विभागों के लगभग 615 संस्थानों को डिनोटिफाइड करके सबसे पहला अपना अनुभव हीनता का परिचय देकर मात्र उनकी शपथ के एक सप्ताह के भीतर पूरे प्रदेश की जनता को आंदोलन के रास्ते में धकेल दिया।
उन्होंने कहा कि विधायकों की शपथ भी नहीं हुई और न ही मंत्रिमंडल का गठन हुआ था उसके बावजूद पूर्व जय राम सरकार के मंत्रिमंडल की कैबिनेट के जनहित से जुड़े निर्णय को तुगलकी फरमान द्वारा नौकरशाही से डिनोटिफाइड करके अपनी व्यवस्था परिवर्तन का परिचय जनता को दे दिया।
भाजपा नेता ने कांग्रेस सरकार के मुखिया से सवाल करते हुए कहा कि एक तरफ जनहित के स्थापित संस्थानों को आर्थिक हालात का कारण बताकर बंद करने का ढोंग रच रहे हैं तो दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार छोटे से प्रदेश में उपमुख्यमंत्री, कैबिनेट रैंक के लगभग 9 सलाहकार व ओएसडी, असंवैधानिक रूप से 6 मुख्य संसदीय सच्ची बहुत जैसे पदों पर आसीन करके हेलीकॉप्टर से लेकर गाड़ियों, कार्यालय, स्टाफ जैसे लाव लश्कर सहित प्रतिमाह करोड़ों रुपए का प्रदेश में बोझ डालकर व्यवस्था परिवर्तन का कंगाली के रास्ते में इससे बड़ा आत्मघाती कदम और क्या हो सकता है।
कपूर ने कहा कि सच तो यह है कि कांग्रेस पार्टी जब 10 ग्रंटियों का जुमला पत्र तैयार कर रही थी तो उस समय के कांग्रेस कमेटी के सदस्य इन ग्रंटियों में भी एक मत नहीं थे। यहां तक कि यह भी चर्चा हुई कि कहीं गलती से कांग्रेस की सरकार आ गई तो इन ग्रंटियों को लागू करना किसी के बस में नहीं होगा। जिसका खुलासा तत्कालीन पार्टी के दोनों कार्यकारी अध्यक्ष श्री हर्ष महाजन और श्री पवन काजल ने स्पष्ट रूप से किया भी है। लेकिन अब 10 ग्रंटियों के झूठे लुभावने वायदों से कांग्रेस सरकार बुरी तरह फस गई है। ग्रंटियों को लेकर नित दिन कोई न कोई नया बयान समाचार पत्रों में पढ़ने को मिल रहा है।
भाजपा नेता ने कहा कि मातृशक्ति को लक्ष्मी और मां दुर्गा के रूप में माना जाता है। जिन्हें कांग्रेस ने अपने ग्रंटी पत्र में ही नहीं बल्कि हर प्रेस वार्ता में बड़े से बड़े और छोटे से छोटे नेता ने चिख-चिख कर कहा था कि हम सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट में अर्थात 1 जनवरी 2023 को उनके खाते में 18 बर्ष से लेकर 59 वर्ष तक की प्रत्येक महिला को 15 सो रुपए की सहयोग राशि के रूप में उनके खाते में जमा करेंगे। उन्होंने कांग्रेस सरकार को यह चिताते हुए कहा कि जिस दिन कांग्रेस सरकार परिवार की एक महिला को 15 सो रुपए देने की नौटंकी करेगी उसी दिन पूरे प्रदेश की मातृशक्ति एकजुट होकर कांग्रेस पार्टी के एक-एक जनप्रतिनिधि को ही नहीं बल्कि जिन्होंने झूठे फार्म भरे हैं उन्हें भी सड़क और चौराहे पर घसीट कर बेनकाब करने में कोई परहेज नहीं करेगी। यही नहीं अनेकों विधानसभा क्षेत्रों में तो गांव-गांव जाकर महिलाओं के फार्म भर के दिसंबर महीने की 1500 रुपए की राशि उसी समय जमा भी कर दी। जिन बहनों ने महिलाओं के फार्म भरे उन्हें भी फार्म भरने का कांग्रेस पार्टी ने 100 रुपए प्रति फार्म के हिसाब से पैसे दिए। लेकिन दुर्भाग्यवश अब कांग्रेस सरकार अपनी ग्रंटियों से पलट कर यह कह रही है कि हम परिवार की एक महिला को 1500 रुपए देंगे।
भाजपा नेता कपूर ने कहा कि कांग्रेस सरकार अपनी ग्रंटियों को लागू करने के लिए नौकरशाही पर भारी दबाव डाल रही है। लेकिन अधिकारी वर्ग इस बात को महसूस कर रहा है कि कहीं आनन-फानन में कुछ गलत किया तो अनुभवहीन व कमजोर सरकार की सजा उन्हें जीवन भर भुगतनी पड़ेगी।