पालमपुर, बैजनाथ उपमंडल का सेहल, फल उत्पादक गांव के रूप में जाना जाने लगा है। सरकार के सहयोग से गांव के 34 परिवारों ने अमरूद उत्पादन में मिशाल पैदा की है। लावारिश तथा जंगली जानवरों एवं अन्य मुश्किलों के कारण खेती-बाड़ी से हाथ खींच चुके लोग अब समाज को फल उगाने के लिये आगे आने को प्रेरित कर रहे है।
किसानों की आर्थिकी को मजबूत बना रहा अमरूद,
सरकार के सहयोग, कड़ी मेहनत और परिश्रम से कामयाबी की ओर बढ़ रहे सेहल गांव के 37 किसान हर किसी के लिये प्रेरणा का केंद्र बने हैं। प्रदेश सरकार के एशियन डेवलपमेंट बैंक की वित्तपोषित सब ट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर, इरीगेशन एंड वैल्यू एडिशन प्रोजेक्ट के अंतर्गत सेहल गांव में 6 हेक्टेयर (150 कनाल) क्षेत्र में अमरूद और संतरे का बगीचा लगाया गया है।
सेहल में अमरूद और सिट्रस के साढ़े 13000 पौधे लगाए
प्रदेश के बाग़वानी विभाग की निगरानी में तैयार हुए इस बगीचे में अमरूद के 12950 तथा संतरे के 450 उन्नत किस्म के साढ़े 13 पौधे तैयार किये गए हैं। ललित, स्वेता और वीएनआर बीही किस्म के एक पौधे में 3 वर्ष के उपरांत 30 किलो फल देने की क्षमता है।
जंगली और लावारिस जानवरों से फसल को बचाने के लिये पूरे क्षेत्र की सोलर बाड़-बंदी की गई है। पौधों को समय पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो इसके लिये आधुनिक सोलर सिंचाई तकनीक का प्रयोग कर सुविधा उपलब्ध करवाई गई है जिसमें सिंचाई के लिये बिजली की कोई जरूरत नहीं है। यहां सिंचाई के लिये लगभग एक लाख लीटर क्षमता का ओवर हेड टैंक भी बनाया गया है।
चार गुणा तक लाभ कमा रहे किसान
जंगली जनवरों और लावारिस पशुओं के प्रकोप से खेती-बाड़ी बन्द कर चुके सेहल निवासी रमेश शर्मा, राम लाल, मंगत राम की एक हेक्टेयर क्षेत्र में प्रदर्शन के रूप में एक हेक्टेयर भूमि पर 1000 अमरूद तथा 450 संतरे के पौधे रोपित करवाएं। परंपरागत खेतीबाड़ी से 4 गुना तक लाभ प्राप्त होने से किसानों के चेहरे पर मुस्कान आयी है। अच्छी आमदन और प्रोजेक्ट की सफलता से प्रभावित होकर गाँव के अन्य 34 परिवारों ने रुचि दिखाई और 5 हेक्टेयर क्षेत्र में अमरूद का उत्पादन आरंभ किया है। सिंचाई की सुविधा होने के चलते अमरूद के बगीचे में मिश्रित खेती कर किसान मौसमी सब्जियां भी उगा रहे हैं।
क्या कहते है किसान
किसान से बागवान बने रमेश शर्मा, मंगत राम, संदीप कुमार और गंगा राम का कहना है कि सरकार के सहयोग से अमरूद के पौधे लगाए हैं। उन्हें अच्छी आय प्राप्त होने से गांव के कुछ लोगों को उनके पास रोजगार भी प्राप्त हुआ है। अमरूद की अच्छी मांग होने से खेत से ही 50 रुपये किलो अमरूद बिक रहा है। बड़े आकार के अमरूद ताज़ा खाने के अतिरिक्त प्रंसकरण के लिये भी उपयुक्त हैं।
उनके खेतों में ही वैज्ञानिक परामर्श उपलब्ध करवाने के लिए किसान प्रदेश सरकार का सरकार का धन्यवाद कर रहे हैं। इनका कहना है कि प्रदेश में फल उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं और आमदनी का भी अच्छा माध्यम है इसलिए अधिक से अधिक किसानों को फल उत्पादन के लिए आगे आना चाहिए।
डॉक्टर से ज़्यादा उपयोगी है अमरूद
अमरूद का प्राचीन संस्कृत नाम अमृत या अमृत फल है। स्वादिष्ट होने के साथ साथ अमरूद का औषधीय गुणों से भरपूर और बहुत पौष्टिक है। कई तरह की बीमारियों को दूर करने में लोग इसे घरेलू उपाय के रुप में इस्तेमाल करते हैं।
इन बीमारियों के लिये रामवाण है अमरूद
विशेषज्ञों के अनुसार अमरूद प्यास को शांत करता है, हृदय को बल देता है, कृमियों का नाश करता है, उल्टी रोकता है, पेट साफ करता है औऱ कफ निकालता है। मुँह में छाले होने पर, मस्तिष्क एवं किडनी के संक्रमण, बुखार, मानसिक रोगों तथा मिर्गी आदि में इनका सेवन लाभप्रद होता है। सर्दियों के मौसम में अमरूद खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसे खाने से पाचन तंत्र ठीक रहता है और साथ ही इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को भी बढ़ाते हैं।
क्या कहते है विशेषज्ञ
उद्यान विभाग के विषय वाद विशेषज्ञ डॉ नीरज शर्मा के मुताबिक प्रदेश को फल राज्य बनाने की दिशा में एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से यह परियोजना संचालित की जा रही है। किसानों को आर्थिक रूप में सुदृढ़ करने के लिये 80-20 के अनुपात में सरकार सहयोग दे रही है। मिट्टी की जांच और फलों के लिये अनुकूल जलवायु के अनुरूप किसानों को संतरा, अमरूद , अनार, आम और लीची के उन्नत किस्म के पौधे उपलब्ध कर फल उत्पादन के लिये प्रेरित किया जा रहा है।
इस योजना में 10 हेक्टर क्षेत्र (250 कनाल) तक किसानों को सामूहिक रूप में फलों के पौधे लगाने में सहयोग दिया जा रहा है। परियोजना में किसानों के लिये लोकल मार्केट, कोल्ड स्टोर और मार्केटिंग यार्ड इत्यादि की सुविधा भी प्रावधान किया गया है।