भेड़पालकों को बेहतर बकरे बांट समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने का आह्वान
पालमपुर 10 अप्रैल। चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एच.के.चौधरी ने सोमवार को चंबा और कांगड़ा जिलों के प्रगतिशील गद्दियों (बकरी पालने वालों) को बेहतर गद्दी प्रजनन बकरे , आपातकालीन किट और खनिज मिश्रण वितरित किए।
कुलपति ने घूंमतू (प्रवासी) उत्पादन प्रणाली के तहत मौजूदा गद्दी बकरियों की समग्र नस्ल सुधार लाने के उद्देश्य से नियमित रूप से प्रजनन बकरे प्रदान करने के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की। उन्होंने भेड़ पालक किसानों को बताया कि पशु अनुवांशिकी एवं प्रजनन विभाग के वैज्ञानिकों ने दो चरणों के चयन और वैज्ञानिक प्रबंधन के बाद इन बकरों को बांटा है जो बीमारी से मुक्त हैं, बीमारी से पीड़ित बकरे से बीमारी आगे उनके वंश को जा सकती है जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होता है। उन्होंने उन्हें इन प्रजनन बकरों की क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने की सलाह दी क्योंकि ये बेहतर बकरे संतान में वांछित उत्पादन गुणों को पारित करेंगे और किसानों की आय में सुधार करेंगे।
प्रो चौधरी ने उन्हें स्वास्थ्य का ध्यान रखने और बांटे गए बकरों का रिकार्ड संधारित करने को कहा। उन्होंने पौष्टिक आहार के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि बकरी के दूध का औषधीय महत्व है और इसे सामूहिक रूप से बेचने के लिए गद्दियों को एक साथ आना चाहिए क्योंकि इससे अधिक कीमत मिलती है। इसी प्रकार गद्दी बकरी के मांस को भी स्वादिष्ट माना जाता है। उन्होंने उन्हें सभी प्रकार की सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करने का आश्वासन दिया और उन्हें सलाह दी कि वे झुंड के साथ आवागमन के दौरान क्षेत्रीय पशु चिकित्सक के संपर्क में रहें। उन्होंने गदियों को सलाह दी कि वे अपने सदियों पुराने पेशे को न छोड़ें और नई पीढ़ी को अपनी बकरी और भेड़ के झुंड को बेहतर बनाने के लिए विश्वविद्यालय से संपर्क करने के लिए प्रेरित करें। कुलपति ने उन्हें अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने के लिए भी कहा जिसमें चोला, डोरा व टोपी आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि किसानों के कल्याण के लिए रोग प्रबंधन और आपदा प्रबंधन पर कुछ नई परियोजनाएं लागू की जाएंगी। उन्होंने जनजातीय लोगों के लाभ के लिए संबधित क्षेत्र की परिस्थितियों में कड़ी मेहनत के लिए परियोजना टीम की सराहना की।
डा.जी.सी.नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. मनदीप शर्मा ने झुंड की समग्र उत्पादकता में सुधार के लिए प्रजनन छैलू की भूमिका पर प्रकाश डाला। पशुधन फार्म कॉम्प्लेक्स के विभागाध्यक्ष डा.एस. कटोच और परियोजना के प्रधान अन्वेषक डा. निशांत वर्मा ने बताया कि बकरी सुधार पर चल रही अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना को केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मखदूम मथुरा की छत्रछाया में कार्यान्वित किया जा रहा है। अब तक किसानों को 250 से अधिक श्रेष्ठ प्रजनन बकरे उपलब्ध कराये जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि परियोजना के तहत 1600 से अधिक शुद्ध गद्दी बकरों की निगरानी की जा रही है। परियोजना को रणनीतिक प्रजनन, भोजन और स्वास्थ्य नियंत्रण इनपुट प्रदान करके प्रवासी क्षेत्र की परिस्थितियों में कार्यान्वित किया जा रहा था।
नौ किसानों में से गद्दी बकरी नस्ल संरक्षण के लिए दो राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं नंदू राम और करम चंद ने उन्हें सालाना बेहतर बकरे मुहैया कराने के लिए विश्वविद्यालय का आभार व्यक्त किया। स्नातकोत्तर शिक्षा के अधिष्ठाता डा.सुरेश गौतम, संयुक्त निदेशक जनसंपर्क डा. हृदय पॉल सिंह, डा. अरुण शर्मा और प्रोजेक्ट टीम के सदस्य डा. अंकुर शर्मा, डा.राकेश ठाकुर, डा.वरुण सांख्यान, डा.अंकज ठाकुर, डा.मीसम रजा, डा. रोहित कुमार और डा.प्रवीण शर्मा भी इस अवसर पर मौजूद रहे।