पालमपुर-22 दिसम्बर
पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा कि कल विधानसभा में बहुत दिनों के बाद थोड़ी देर के लिए एक स्वस्थ लोकतंत्र देखने को मिला। लोकतंत्र केवल विरोध तंत्र नही है। लोकतंत्र पक्ष और विपक्ष का एक सहयोग तंत्र है। हिमाचल प्रदेश में नशे के प्रकोप से निपटने के लिए कल विधानसभा में चर्चा हुई और उसमें पक्ष और विपक्ष परस्पर सहयोग की चर्चा करते रहे। मैं इसके लिए विधानसभा के मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
उन्होंने कहा कि नशे का प्रकोप आज सबसे बड़ा भयंकर संकट है। नई पीढ़ी को बर्वाद कर रहा है। दिन-प्रतिदिन नशे का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। इसके लिए सरकार, विपक्ष और पूरे समाज को एक जुट होना होगा।
शांता कुमार ने कहा कि कल की चर्चा में बड़े उपयोगी सुझाव आये है। दोनों पक्षों ने बड़ी सार्थक और उपयोगी चर्चा की। उसके आधार पर नया कार्यक्रम तय कर के सरकार को आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस सम्बंध में एक महत्वपूर्ण बात पर वे सबका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं । आज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वर्तमान पीढ़ी संस्कार विहीन हो गई। बच्चे को सबसे पहला संस्कार परिवार में माता-पिता और दादा-दादी से मिलता था परन्तु आज मोबाईल हाथ में आने के बाद किसी बच्चे के पास न तो समय है और न ही वह माता-पिता या बुजुगों के पास बैठना चाहता है। परिवार से संस्कार मिलने की परम्परा नई तकनीक और मोबाईल ने पूरी तरह से समाप्त कर दी। समाज में नशा है, कुरितियां है।
शांता कुमार ने कहा एक बात ध्यान में रखने की है कि कानून किसी हत्यारे को फांसी की सजा तो दे सकता है परन्तु कानून अच्छा काम करने का संस्कार नही दे सकता।केवल कानून से इस समस्या का समाधान नही होगा। आखिर बच्चे को कहीं से अच्छे संस्कार मिले। कोई बताये, समझायें कि जीवन नशे के मजे में समाप्त करने के लिए नही है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने इस पर गंभीर चिन्तन किया है। संस्कार देने का यह अति महत्वपूर्ण काम अब सरकार के शिक्षा विभाग को करना होगा।हिमाचल सरकार पहल करे। योग और नैतिक शिक्षा का एक पाठ्य क्रम बनाकर स्कूलों में लागू करे। योग, प्राणायम और नैतिक शिक्षा द्वारा नई पीढ़ी को अच्छे संस्कार दिये जा सकते है।
शांता कुमार ने कहा कि आर्य समाज और सनातन धर्म के कुछ स्कूलों में ऐसी व्यवस्था है। वे भी सनातन धर्म स्कूल में पढ़े थे। उन्हें गीता का ज्ञान वहीं से मिला और कुछ ऐसे संस्कार भी मिले जो जीवन भर उनके आदर्श बन गये।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला प्रदेश बने। एक विद्वानों की समिति योग और नैतिक शिक्षा का हर कक्षा के लिए पाठ्यक्रम तय करें। इस कार्य के लिए सरकार स्वामी रामदेव जी का सहयोग ले सकती है। विवेकानन्द ट्रस्ट का कायाकल्प भी सब प्रकार की सहायता करेगा।