पालमपुर
सीएसआईआर-आईएचबीटी में खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन पर एक हितधारक बैठक का आयोजन किया गया। यह आयोजन पश्चिमी हिमालय क्षेत्र के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के परिवर्तन के लिए एक बहु-हितधारक सहयोग है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के मानकों और स्थिरता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकताओं पर विचार-विमर्श करने के लिए शिक्षा, उद्योग और एफ.एस.एस.ए.आई. जैसे नियामक निकायों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया था । खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में स्टार्टअप और उभरते उद्यमियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालने और चर्चा करने के लिए हितधारकों की बैठक के दौरान एक विशेषज्ञ पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्र्म की अध्यक्षता सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव ने की, इस दौरान श्री सौरभ जस्सल, आई.ए.एस., अतिरिक्त उपायुक्त, जिला. कांगड़ा इस पैनल चर्चा के लिए विशेष अतिथि भी मौजूद रहे । सीएसआईआर-आईएचबीटी में शामिल स्टार्टअप्स ने हितधारकों की बैठक के दौरान अपने उत्पादों और प्रौद्योगिकियों का भी प्रदर्शन किया। डॉ. यादव ने संस्थान में अब तक निष्पादित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से संबंधित गतिविधियों पर प्रकाश डाला और बताया कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ाने की दिशा में कई नए मिशन मोड और प्रौद्योगिकी परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। डॉ. रश्मि शर्मा (SHRI, DST) एंव डॉ. स्वीटी बहेरा (FSSAI) ने भी अपने सभाष्णों में खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के महत्व पर बल दिया ।
इस कार्यक्रम के दौरान भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, प्रोफेसर अभय करंदीकर द्वारा संस्थान में एक नई आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण सुविधा का उद्घाटन किया गया। जिसमे विभिन्न जैव संसाधन जैसे कि फल, सब्जियां, मशरूम, औषधीय पौधे इत्यादि के निर्जलीकरण ; फोर्टिफाइड स्नैक्स व तैयार होने वाले खाद्य पदार्थों जैसे पास्ता, नूडल्स और एनर्जी बार उत्पादन हेतु उपकरण और साथ ही 200 किलोग्राम प्रतिदिन उत्पादक क्षमता वाले मल्टीग्रेन आधारित तत्काल खाद्य पदार्थों व प्रीमिक्स उपकरण सम्मलित हैं। अपने संबोधन में प्रो. करंदीकर ने सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा किए जा रहे विभिन्न अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों और प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण गतिविधियों की सराहना की। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की गुणवत्ता मानकों और स्थिरता में सुधार के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. यादव ने इस सुविधा को स्थानीय किसान उपज संगठनों (एफपीओ) और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), स्टार्टअप और सूक्ष्म उद्यमों जैसे विभिन्न हितधारकों को समर्पित किया, और बताया कि कैसे यह सुविधा छोटे उद्योगों और स्थानीय खाद्य उद्योगों को बढ़ावा देगी। इस अवसर पर एक पुस्तक “ हिमाचल प्रदेश के पारंपरिक व्यंजन” का भी विमोचन किया गया। इसके अलावा संस्थान ने हिमाचल प्रदेश के मिलेट मैन नाम से मशहूर पदम नेक राम शर्मा को सम्मानित किया गया जिन्होने “नौ अनाज” खेती प्रणाली को बढ़ावा देने व पारंपरिक किस्मों के पुनरुद्धार के क्षेत्र में उलेखनीय कार्य किया है ।