हिंदू धर्म में प्रकृति को देवता माना गया है और पेड़-पौधों को पूजनीय। इसीलिए प्रत्येक ग्रह और नक्षत्र के साथ एक-एक वृक्ष को जोड़ा गया है। संबंधित वृक्ष या पौधे की पूजा करने से नवग्रहों की शांति की जा सकती है। इन वृक्षों-पौधों की सेवा करने और उन्हें किसी विशेष दिन लगाने से समस्त ग्रह दोषों से मुक्ति पाकर जीवन को सुगम बनाया जा सकता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में वर्ष के सबसे पूजनीय और त्वरित फल देने वाले दिनों में अक्षय तृतीया का दिन स्वयंसिद्ध माना गया है। इस दिन धन-संपदा की प्राप्ति के लिए अनेक उपाय किए जाते हैं। उनमें से एक उपाय है पौधों का रोपण करना। अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को है। पर्यावरण संरक्षण महत्व को समझते हुए अक्षय तृतीया के दिन अपनी समस्याओं के निवारण के लिए पौधों का रोपण करें और जीवन में खुशियों का समावेश करें…
पीपल
यदि आपके जीवन में स्थायी संपत्ति का अभाव है, आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं। विवाह योग्य युवक-युवतियों के विवाह में बाधा आ रही है तो अक्षय तृतीया के दिन शुद्ध जल से स्नान करने के बाद अपने घर में गमले में या किसी बगीचे में पीपल का पौधा रोपें। इसमें नियमित स्नान के बाद जल चढ़ाएं। प्रत्येक अमावस्या के दिन इसकी जड़ में कच्चा दूध, पानी और मिश्री अर्पित करें। इससे आर्थिक समस्या दूर होने लगेगी। विवाह में आ रही बाधा दूर होगी।

बेल पत्र
बेल पत्र का पौधा बेल पत्र भगवान शिव का प्रिय वृक्ष है। अक्षय तृतीया के दिन इससे पौधे का रोपण करके नियमित इसका सिंचन करने से शिव प्रसन्न् होते हैं। जिस घर में बेल पत्र के पौधे की सेवा की जाती है वहां कभी किसी को बीमारियां नहीं होती। मृत्यु का भय टल जाता है। जहरीले जीव-जंतु उस घर से दूर रहते हैं। शिव की कृपा से घर में किसी चीज की कमी नहीं होती।
शमी
शमी का पौधा अक्षय तृतीया के दिन शमी के पौधे का रोपण करना अत्यंत शुभ माना गया है। इसे लगाने से अनंत गुना शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शमी के पौधे से शनि ग्रह के दोष दूर होते हैं। यदि जन्म कुंडली में पितृदोष या कालसर्प दोष बना हुआ है तो शमी का पौधा लगाने से ये दोष तुरंत दूर हो जाते हैं। जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैया चल रही हो वे भी शमी का पौधा अवश्य लगाएं।

तुलसी
तुलसी का पौधा तुलसी का पौधा वैसे तो अधिकांश हिंदू घरों में होता ही है। यदि नहीं है तो अक्षय तृतीया का दिन तुलसी लगाने के लिए सबसे उत्तम दिन है। इस दिन तुलसी का पौधा लगाने से पारिवारिक जीवन में प्रेम बना रहता है। तनाव मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु तथा मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। तुलसी के पौधे से अक्षय संपदा की प्राप्ति होती है। साथ ही नवग्रहों की पीड़ा दूर होती है। तुलसी का पौधा लगाने के बाद नियमित जल से इसका सिंचन करें और शाम के समय इसके समीप दीपक जरूर लगाएं।
तुलसी और पीपल के वृक्षों का पर्यावरणीय महत्व
तुलसी और पीपल दोनों ही पेड़ पर्यावरण के लिए बहुत उपयुक्त हैं। ये पेड़ वायुमंडल में ऑक्सीजन का प्रवाह करते हैं, जिससे वातावरण स्वच्छ रहता है। पीपल के पेड़ से वायुमंडल में शुद्ध ऑक्सीजन उत्पन्न होता है, जो रात्रि में भी जारी रहता है। इसी कारण से पीपल को ‘रात का ऑक्सीजन प्लांट’ कहा जाता है। तुलसी का पौधा भी प्रदूषण को कम करने में मदद करता है।
नैतिक और आध्यात्मिक लाभ
तुलसी और पीपल की उपासना सिर्फ शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति के लिए उपयोगी है।इन पेड़ों की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है और मानसिक शांति मिलती है। तुलसी की नियमित पूजा व्यक्ति को संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती हैँ । पीपल की पूजा आत्म-निर्भरता और समृद्धि की दिशा में मदद करती है।