ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) पर राजस्थान (Rajasthan) में ‘संकट के बादल’ मंडरा रहे हैं. केंद्र ने गहलोत सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई है. कल केंद्रीय वित्त राजयमंत्री डॉ भागवत कराड ने ओपीएस पर संसद में साफ मना कर दिया. केंद्रीय वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने भी नाराजगी जताई है. राजस्थान में गहलोत सरकार को योजना मद में कुल 41 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है. हिमाचल में कांग्रेस की सरकार आने के पीछे ओपीएस को बड़ा मुद्दा माना जा रहा है. अब गहलोत सरकार और केंद्र में ठन गई है.
पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ओपीएस पर केंद्र की नाराजगी के बारे में सवाल पूछे गए थे. उन्होंने पलटवार करते हुए कहा था कि क्या नोटबंदी करते समय प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने आरबीआई (RBI) से पूछा था. हिमाचल में मिली जीत के बाद गहलोत ने पूरे देश में ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने वकालत की है. उनका कहना है कि ओल्ड पेंशन स्कीम कर्मचारियों के हित में है. ओल्ड पेंशन स्कीम का लाभ 7 लाख कर्मचारियों को मिलेगा. कर्मचारी सरकार चलाने में जान लगा देते हैं.
पुरानी पेंशन योजना पर तकरार से लटकी तलवार
23 फरवरी 2022 को विधानसभा में अशोक गहलोत ने पुरानी पेंशन योजना को राजस्थान में लागू करने की घोषणा की थी. गहलोत के फैसले ने लगभग 7 लाख कर्मचारियों को खुश कर दिया था. लेकिन लाभ केवल 1.5 लाख कर्मचारियों को ही मिल रहा है. एक अप्रैल 2004 के बाद नियुक्ति पाने वाले 5 लाख 50 हजार कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम की मांग में हैं. अभी बाकी लोग भी आंदोलनरत हैं. गहलोत सरकार की पुरानी पेंशन स्कीम पर केंद्र के अड़ंगा लगाने से माना जा रहा है कि चुनाव परिणाम अलग दिखेगा. ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की घोषणा के बाद वित्त मंत्रालय ने वित्तीय अनुशासनहीनता बताया था. बीजेपी शासित राज्यों में कहीं भी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू नहीं है. राजस्थान बीजेपी कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार पर लगातार बढ़ते कर्ज की बात कर रही है.