उद्यान विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां जानकारी दी कि प्रदेश में सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिए बागवानी विभाग द्वारा जिला कार्यालयों को एक करोड़ रुपये की धनराशि एवं आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। सूखे से हुए नुकसान का आकलन करने के पश्चात इस स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक सामग्री जैसे पौध सामग्री, पानी के टैंक, पाइप्स, दवाइयां एवं सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने के लिए इस धनराशि का उपयोग किया जाएगा।
उन्होंने बागवानों को सलाह देते हुए बताया कि प्रदेश में इस स्थिति में नुकसान को कम करने के लिए उन्हें नमी का संरक्षण करना चाहिए। इसके लिए खेतों मे प्लास्टिक मल्च का प्रयोग करें। पेड़ के तौलिये मंे जैविक पदार्थ जैसे की सूखी घास एवं धान की तूडी इत्यादि का उपयोग नमी को संरक्षित करने के लिए भी किया जा सकता है। सूखे के दौरान पौधों में बोरोन और कैल्शियम की कमी हो जाती है। इस कमी को दूर करने के लिए 0.1 प्रतिशत बोरिक एसिड एवं 0.5 प्रतिशत कैल्शियम क्लोराइड का प्रयोग करें।
प्रवक्ता ने उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के बागवानों को यह सलाह दी है कि फलों के पेड़ों की कटाई एवं छंटाई के कार्य वर्षा होने तक पूर्ण रूप से बंद कर दें ताकि नुकसान से बचा जा सके।
उन्होंने बताया कि शीतोष्ण फल पौधों को लगाने का आजकल उपयुक्त समय है। यह फल पौधे मार्च के महीने तक रोपित किये जा सकते हैं लेकिन इस माह में इन फल पौधों का रोपण उपयुक्त रहेगा। टेढ़े-मेढ़े पहाड़ी और अधिक ढलान वाले क्षेत्रों में साधारणतया फल पौधों को कन्टूर विधि द्वारा लगाया जाना चाहिए। छोटे खेतों में बागवान खेतों के मध्य में उचित दूरी पर फलदार पौधों का रोपण करें। खेतों की ढलान अन्दर की ओर रखें जिससे वर्षा के पानी का सही उपयोग हो सके और भूमि कटाव भी कम हो।
प्रवक्ता ने बताया कि फल पौधे लगाते समय जड़ों को उनकी सही दिशा में फैला देना चाहिए। पौधों को पौधशाला की भांति ही स्वाभाविक गहराई तक दबा कर रोपित करें। मौसम की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए फल पौधों को लगाने के पश्चात् इनकी सिंचाई अवश्य करें और इसमें मल्च का उपयोग करें जिससे कि नमी को ज्यादा समय तक संजोकर रखा जा सके।