बैजनाथ उपमंडल के लिए गुरुजी के नाम से विख्यात प्रीतम भारती संभवत किसी प्रशसां के मोहताज़ इसलिए नहीं हैं क्योंकि शैक्षणिक क्षेत्र में सेवाएं देने के बाद समाज सेवा को उन्होंने अपना ध्येय बना लिया l उनकी बेहतरीन सेवाओं के मद्देनजर देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था उच्चतम न्यायालय द्वारा वर्ष 2017 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा तथा कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उन्हें राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के उत्कृष्ट पैरा लीगल वॉलिंटियर के पुरस्कार से नवाजा थाl
72 वर्षीय प्रीतम भारती ने बताया कि शैक्षणिक क्षेत्र में 30 वर्ष तक सेवाएं देने के उपरांत जब वे पैतृक गांव नागन लौटे तो क्षेत्र की तमाम समस्याओं ने उन्हें अंदर तक झिंझोड़ दिया l रास्ते – पानी की समस्या , पति-पत्नी के झगड़े , परिवारिक कलह क्लेश जैसे कई मामलों को उन्होंने मध्यक्षता के माध्यम से सुलझाया l यही वजह रही कि न्यायालय द्वारा उन्हें 2014 में पैरा लीगल वालंटियर के तौर पर तैनाती दी गई l तब से लेकर अब तक वे कई मामलों में मध्यस्थता के तहत कई झगड़ों का निपटारा करवा चुके हैं l उन्होंने कहा कि मध्यस्थता के दौरान वे किसी से भी कोई शुल्क नहीं लेते अलबत्ता जरूरत पड़ने पर अपने खुद से भी खर्चा करने से नहीं चूकते l
एक मामले का जिक्र करते हुए प्रीतम भारती ने बताया कि पपरोला से लेकर नागन गांव तक सड़क निर्माण के लिए उन्होंने अपनी पत्नी के कंगन तक बेच डाले थे l वर्तमान में वे शिक्षा विभाग की ओर से विभिन्न विद्यालयों में बतौर समन्वयक व्याख्यान देने के लिए जाते हैं l उन्होंने दावा किया कि यदि समाज के सब लोग धैर्य का परिचय दें तो स्वच्छ समाज के निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान निभा सकते हैं l