छोटे-छोटे प्रयासों से हो जल प्रबंधन: कुलपति प्रो.एच.के. चौधरी
सिंचाई जल पर मंथन करने जुटे देश के नामी वैज्ञानिक
पालमपुर 21 जून। चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में सिंचाई जल प्रबंधन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत तीन दिवसीय मुख्य वैज्ञानिकों की बैठक बुधवार से आरंभ हुई। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक डाक्टर सुरेश कुमार चौधरी ने बैठक का उदघाटन करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि पहाड़ी कृषि में जल प्रबंधन, उथली भूमि और नलकूप क्षेत्रों में जल प्रबंधन अलग-अलग है।
डाक्टर चौधरी ने नई चुनौतियों और समस्याओं का सामना करने के तरीकों पर चर्चा करते हुए सूक्ष्म सिंचाई मॉडल और कार्यक्रम अपनाने सहित जल प्रबंधन पर कार्य योजना पर राज्य सरकारों को उपयोगी दस्तावेज देने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि शोध कार्य आसानी से अपनाने योग्य होना चाहिए। जल प्रबंधन पर केंद्र और राज्य सरकारों ने अनेक योजनाएं लागू की हैं। उन्होंने कहा कि देश की जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान कार्य किया गया है और कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय योजनाएं बनाई गई हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एच.के. चौधरी ने कहा कि हिमालय से देश में पानी बहता है, लेकिन इस बहुमूल्य संसाधन को बचाने के महत्व के बारे में जनता को जागरूक करने के लिए अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मानव लालच ने जल स्रोतों को नुकसान कर व्यापक संकट बना दिया है।
प्रो. चौधरी ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या के लिए अधिक खाद्य उत्पादन की आवश्यकता होती है और वैज्ञानिकों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित नई तकनीकों के साथ भविष्य की पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास करने चाहिए। उन्होंने गांवों में पारंपरिक जल स्रोतों के महत्व पर भी चर्चा की। कुलपति ने पानी बचाने में पंचायतों को शामिल करने के तरीकों पर चर्चा की ताकि छोटे-छोटे प्रयासों से जल का प्रबंधन किया जा सकें।
भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल के पूर्व निदेशक डाक्टर सीएल आचार्य ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि जल उपयोग दक्षता नाइट्रोजन उपयोग दक्षता को प्रभावित करती है। नुकसान को कम करने और फसल उत्पादन को बढ़ाने के लिए इसका कुशल प्रबंधन अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने सभी संबंधितों को पानी बचाने और वैज्ञानिक रूप से इसका प्रबंधन करने की सलाह दी।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक डाक्टर ए. वेलमुरुगन ने किसानों के लिए पानी और आईसीएआर अनुसंधान कार्य के महत्व को रेखांकित किया।
भारतीय जल प्रबंधन संस्थान भुवनेश्वर के निदेशक डाक्टर ए सारंगी ने बैठक में अपने संस्थान द्वारा किए जा रहे नए शोध कार्यों की जानकारी दी।
अनुसंधान निदेशक डाक्टर एस.पी.दीक्षित ने विश्वविद्यालय में सिंचाई जल पर विस्तृत जानकारी को प्रस्तुत किया।
बैठक के दौरान मुख्य अतिथि और कुलपति ने चार शोध प्रकाशनों का विमोचन किया।
मृदा विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर एन.के.सांख्यान, डाक्टर संजीव संदल और डाक्टर अनिल कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। बैठक में देश के विभिन्न भागों से लगभग 60 वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं।